जानिए लाभकारी वास्तु दिशाएं

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सबसे पहले अपने मोबाइल में कंपास ऐप के ज़रिए अपने घर की उत्तर दिशा का पता लगाएँ. एक बार उत्तर दिशा का पता लग जाने के बाद, अन्य 9 वास्तु दिशाएँ आसानी से निर्धारित की जा सकती हैं. इसके बाद, नीचे दिए गए लेख को पढ़ें और लाभकारी वास्तु दिशाओं के बारे में जानें. अगर किसी दिशा में कोई कमी है, तो वास्तु में उचित बदलाव करके अपने घरेलू जीवन में सभी सुख-सुविधाओं का आनंद लें.

NAVAPADA VASTU TABLE (नवपद वास्तु सारणी)

NAVAPADA VASTU TABLE (नवपद वास्तु सारणी)

 

1).  पूर्व (EAST): यह दिशा है उगते हुए सूर्य की; सूर्य इस दिशा के ग्रह स्वामी हैं; इंद्र इस दिशा के स्वामी हैं; यह दिशा देती है - पद, प्रतिष्ठा व समृद्धि.

2). आग्नेय (SOUTH EAST): यह दिशा है प्रकाश और अग्नि की; शुक्र इस दिशा के ग्रह स्वामी हैं; अग्नि (fire) इसके दिशा स्वामी हैं; इस दिशा से प्राप्त होती है ऊष्मा और प्रकाश जोकि प्रकृति को शुद्ध करने वाले कारक हैं.

3). दक्षिण (SOUTH): यह दिशा है सूर्य की तपतपाती धूप की; मंगल इसके ग्रह स्वामी हैं; यम इसके दिशा स्वामी हैं; यह दिशा गर्मी की ऋतु में चिलचिलाती धूप से तपाती है इसलिए इस भाग को बंद रखना चाहिए.

4).  नैऋत्य (SOUTH WEST): यह दिशा है अपराह्न-सूर्य की इंफ्रारेड किरणों की; राहु इसके ग्रह स्वामी हैं; पितर (पूर्वज) इसके दिशा स्वामी हैं; इस दिशा से प्राप्त होती है सूर्य की जहरीली किरणों की ऊष्मा; इसलिए इस बात की अनुशंसा की जाती है कि आप अपने घर के इस हिस्से को ऊँचा बनाएं, यहाँ पर भारी सामान रखें और इसे हमेशा बंद रखें.

5). पश्चिम (WEST): यह दिशा है अस्त हो रहे सूर्य की; शनि इसके ग्रह स्वामी हैं; वरुण इस दिशा के स्वामी हैं; यह दिशा प्रदान करती है सूर्यास्त के बाद काफी समय तक नैसर्गिक प्रकाश.

6). वायव्य (NORTH WEST): यह दिशा है ताजा हवा के प्रवेश की; चंद्रमा इसके ग्रह स्वामी हैं; वायु (Air lord) इस दिशा के स्वामी हैं; यह दिशा शुद्ध हवा प्रदान करती है जोकि प्रकृति को शुद्ध करने वाला सबसे बड़ा कारक है.

7).  उत्तर (NORTH): यह सबसे ठंडी दिशा है; बुध इसके ग्रह स्वामी हैं; कुबेर इसके दिशा स्वामी हैं; यह दिशा निवासियों का स्वास्थ्य ठीक रखती है और धन की वर्षा करती है.

8).   ईशान (NORTH EAST): यह सबसे पवित्र दिशा है; बृहस्पति इसके ग्रह स्वामी हैं; ईश इसके दिशा स्वामी हैं; यह दिशा सूर्य की सबसे लाभकारी अल्ट्रावायलेट किरणें प्रदान करती हैे जिनमें किसी भी रोग को ठीक करने की शक्ति होती है.

9).  आकाश (SPACE UPWARDS): यह ऊर्ध्वाधर दिशा भी कहलाती है; यह हमारे चारों ओर एक विशाल अतरिक्ष है; बृहस्पति को विस्तार का स्वामी होने के नाते इसका ग्रह स्वामी माना जाता है; ब्रह्मा इसके दिशा स्वामी हैं; यह दिशा इहलौकिक व पारलौकिक जगत के बीच शब्द शक्ति एवं समस्त संचार के नियमों को नियंत्रित करती है.

10).  पाताल (BELOW EARTH): यह अधोगामी दिशा भी कहलाती है; यह पृथ्वी के नीचे गहराई में स्थित एक अंधकारमय स्थल है; शनि को अंधकार का स्वामी होने के नाते इसका ग्रह स्वामी माना जाता है; वासुकी, कोबराओं के राजा, इसके दिशा स्वामी हैं; पाताल भवन को एक मजबूत नींव प्रदान करता है; पाताल के मुख्य गुण हैं सुस्ती, निष्क्रियता, तंद्रा और दृढ़ता.

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