प्रारंभिक अंक ज्योतिष का परिचय - ऑडियो क्लिप

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Introduction to basic astrology
प्रारंभिक अंक ज्योतिष

ज्योतिष प्रेमियों के सुलभ संदर्भ के लिए ‘प्रारंभिक अंक ज्योतिष का परिचय’ नामक विषय पर एक ऑडियो क्लिप संलग्न है.

प्रारंभिक अंक ज्योतिष के परिचय हेतु ऑडियो क्लिप

अंक शास्त्र पर ऑडियो क्लिप का हिंदी पाठ

मित्रो, आज मैं आपके समक्ष अंकों के विज्ञान यानी अंक शास्त्र या अंक ज्योतिष की चर्चा करने जा रहा हूं। पाश्चात्य जगत के अंक शास्त्रियों – चाल्डियन, पाइथागोरस, सेफेरियल, कीरो आदि को अंक शास्त्र का अध्ययन व उस पर शोध-कार्य करने का श्रेय प्राप्त है।

अंक विज्ञान में मूलांकों का अत्यधिक महत्व है। ये मूलांक हैं – एक से नौ तक के अंक। किसी भी संख्या को उसके मूलांक में बदला जा सकता है। इसके लिए, इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार आदि के सभी अंकों को जोड़ना होता है। यदि जोड़ नौ से अधिक हो, तो इकाई, दहाई आदि के अंकों को पुनः जोड़ना होता है। यह क्रम तब तक जारी रहेगा जब तक हम एक मूलांक पर न पहुंच जाएं। उदाहरण के लिए 78 का मूलांक निकालने के लिए 7 और 8 का जोड़ निकल कर 15 आता है। पुनः 15 के दहाई अंक 1 और इकाई अंक 5 का जोड़ निकल कर 6 आता है। इस प्रकार, 78 का मूलांक निकल कर अंततः 6 आता है।

अंक विज्ञान में मूलांकों का अत्यधिक महत्व है। ये मूलांक हैं – एक से नौ तक के अंक। किसी भी संख्या को उसके मूलांक में बदला जा सकता है। इसके लिए, इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार आदि के सभी अंकों को जोड़ना होता है। यदि जोड़ नौ से अधिक हो, तो इकाई, दहाई आदि के अंकों को पुनः जोड़ना होता है। यह क्रम तब तक जारी रहेगा जब तक हम एक मूलांक पर न पहुंच जाएं। उदाहरण के लिए 78 का मूलांक निकालने के लिए 7 और 8 का जोड़ निकल कर 15 आता है। पुनः 15 के दहाई अंक 1 और इकाई अंक 5 का जोड़ निकल कर 6 आता है। इस प्रकार, 78 का मूलांक निकल कर अंततः 6 आता है।

मित्रो, शायद आप जानते होंगे कि सूर्य के एक तारा होने और चंद्रमा के एक उपग्रह होने के बावजूद ज्योतिषियों ने इन दोनों खगोलीय पिंडों को ग्रहों के रूप में शामिल किया है। साथ ही, पृथ्वी के एक ग्रह होने के बावजूद इसे एक ग्रह के रूप में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि ज्योतिष की संपूर्ण गणना पृथ्वी को एक स्थिर केंद्र मानकर की जाती है।

इस प्रकार, ज्योतिष में कुल 9 ग्रहों को शामिल किया गया है। ये ग्रह हैं – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु और केतु। राहु और केतु छाया ग्रह हैं। इन दोनों ग्रहों को पाश्चात्य ज्योतिष के ग्रहों यूरेनस और नेप्च्यून के स्थान पर भारतीय ज्योतिष में क्रमशः राहु और केतु के रूप में शामिल किया गया है।

मित्रो, अंकशास्त्रियों के अनुसार, सभी जन्म तिथियों को एक मूलांक में बदला जा सकता है। इसी प्रकार, हर ग्रह एक अंक-विशेष के प्रभाव में होता है। सूर्य के लिए 1, चंद्र के लिए 2, मंगल के लिए 9, बुध के लिए 5, गुरू के लिए 3, शुक्र के लिए 6, शनि के लिए 8, यूरेनस यानी भारतीय संदर्भ में राहु के लिए 4 और नेपच्यून यानी भारतीय संदर्भ में केतु के लिए 7 अंक निर्धारित किए गए हैं।

मानव का हजारों वर्षों से ऐसा विश्वास रहा है कि ये ग्रह और ये अंक धरती के संपूर्ण जीवन को नियंत्रित करते हैं। इसी विश्वास ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया। हस्तरेखा विज्ञान यानी सामुद्रिक शास्त्र और अंक शास्त्र भी इसी ज्योतिष विज्ञान के अंग हैं।

मित्रो, किसी व्यक्ति की प्रकृति, स्वभाव, कर्म, व्यवहार, स्वास्थ्य आदि पर उसकी जन्म तिथि के मूलांक का और साथ ही, जिस मास या माह में वह पैदा हुआ है, उस मास को नियंत्रित करने वाले ग्रह के अंक का प्रभाव पड़ता है।

जन्म-तिथि के अनुसार भाग्यफल जानने के लिए आपको उस मास का आम फल देखना चाहिए जिसमें आपकी जन्म-तिथि पड़ती है। इसके पश्चात उक्त तिथि के मूलांक के अनुसार विशेष फल देखना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपकी जन्म तिथि 16 अगस्त है, तो पहले आपको अगस्त मास की आम प्रवृत्तियों को पढ़ना चाहिए और उसके पश्चात 16 से निकलकर आने वाले मूलांक 7 वाले व्यक्तियों की प्रवृत्तियों को जानना चाहिए।

मित्रो, अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। अगली बार किसी नए विषय पर एक नए ऑडियो के साथ आपके समक्ष उपस्थित होउंगा। तब तक के लिए आपसे विदा लेता हूं। धन्यवाद, नमस्कार।


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