
कुछ वैज्ञानिकों और तर्कवादियों द्वारा अक्सर यह प्रचारित किया जाता रहा है कि ज्योतिष शास्त्र विज्ञान नहीं है. कुछ अन्य लोग इसे छद्म विज्ञान कहते हैं. मेरी अपनी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि मुझे इस सिद्धांत को स्वीकार करने की अनुमति नहीं देती है क्योंकि यह निस्संदेह पूर्वाग्रह से ग्रस्त है. मेरा मत है कि ज्योतिष शास्त्र एक दिव्य विज्ञान है.
ज्योतिष बनाम विज्ञान
- वस्तुतः विज्ञान को भौतिक जगत के एक भाग के क्रमबद्ध अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जाता है.
- हम जानते हैं कि विज्ञान की तरह ज्योतिष के क्षेत्र में भी विभिन्न परीक्षण, प्रयोग और शोध-कार्य निरन्तर होते रहते हैं.
- सभी ज्योतिष शाखाओं में, चाहे वह वैदिक ज्योतिष हो या केपी या जैमिनी ज्योतिष, अनुसंधान और प्रयोग की पर्याप्त गुंजाइश रहती है.
- विज्ञान की तरह ज्योतिष में भी, हम अक्सर अपने श्रमसाध्य शोध और प्रयोगात्मक कार्यों के माध्यम से नई खोजों तक पहुंचते हैं.
- परिणामस्वरूप, पुराने निष्कर्षों को नए निष्कर्षों से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है.
- यहां तक कि विज्ञान में भी, हमें किसी भी वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य को करने या आगे बढ़ाने के लिए अनेक धारणाओं का सहारा लेना पड़ता है.
- ये धारणाएँ स्वयंसिद्ध सिद्धांतों के अलावा और कुछ नहीं हैं, जिसका अर्थ यह है कि इस बात का कोई तार्किक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि ये धारणाएँ कैसे अस्तित्व में आईं.
ज्योतिष बनाम खगोल विज्ञान
- यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि खगोल विज्ञान में हम गणना की सौर-केन्द्रित प्रणाली को अपनाते हैं. वहीं दूसरी ओर ज्योतिष में हम गणना की भू-केन्द्रित प्रणाली को अपनाते हैं.
- इसके पीछे ठोस कारण यह है कि हम पर्यवेक्षक के रूप में सूर्य के बजाय पृथ्वी पर मौजूद होते हैं.
- इसी कारण से हम सूर्य को एक तारा मानने की बजाय एक ग्रह मानते हैं.
- हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी अन्य ग्रहों की तरह पश्चिम से पूर्व दिशा में सूर्य की परिक्रमा करती है. साथ ही, पृथ्वी अपनी धुरी पर भी घूमती है.
- हम जानते हैं कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी के चारों ओर चक्कर नहीं लगाता है.
- लेकिन ज्योतिषीय प्रयोजनों के लिए पृथ्वी का पथ सूर्य का पथ माना जाता है.
- इस पथ को क्रांतिवृत्त के नाम से जाना जाता है.
- इसी प्रकार, चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह होने के कारण पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, लेकिन इसे भी एक ग्रह माना जाता है.
- वे बिंदु जहां पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाएं एक दूसरे को काटती हैं, उन्हें क्रमशः आरोही नोड (राहु) और अवरोही नोड (केतु) कहा जाता है.
ज्योतिषीय भविष्यकथन – एक वैज्ञानिक घटना
- सौरमंडल के अन्य खगोलीय पिंडों जैसे बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और प्लूटो को भी ज्योतिष शास्त्र में ग्रह माना जाता है.
- ज्योतिषीय भविष्यकथन मुख्य रूप से वैज्ञानिक घटनाओं जैसे गुरुत्वाकर्षण बल, भू-चुंबकीय और सौर विकिरण, आकर्षण या प्रतिकर्षण बल आदि पर आधारित होता है.
- ज्योतिष शास्त्र में हमारे विद्वान ऋषियों द्वारा निर्धारित मापदण्ड उल्लेखनीय रूप से सटीक पाए गए हैं.
- लेकिन, पूर्व-अपेक्षित शर्त यह है कि इन मापदंडों का उपयोग अलग-अलग करने के बजाय समग्र रूप से किया जाना चाहिए.
- इसके अलावा, सभी विद्वान ऋषियों और ज्योतिषियों ने लगातार बदलते परिवेश में निरंतर शोध और प्रयोगात्मक कार्यों के लिए पर्याप्त गुंजाइश छोड़ी है.
- इस दृष्टि से भी ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान के ही समान है.
- परिणामस्वरूप, ज्योतिष में नई खोजें अधिक से अधिक तीक्ष्ण भविष्यकथन कौशल विकसित करने में मदद करती हैं.
- आज दुनिया भर में विशुद्ध वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से जुड़े लाखों पेशेवर ज्योतिष का अध्ययन कर रहे हैं.
- इतना ही नहीं, वे कठोर शोध-कार्य भी कर रहे हैं और इस प्रकार ज्योतिष के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.
निष्कर्ष: ज्योतिष एक दिव्य विज्ञान है
इस प्रकार, मैं पूरी विनम्रता के साथ दावा करता हूँ कि ज्योतिष एक दिव्य विज्ञान है. जैसा कि हमने ऊपर चर्चा की है कि ज्योतिष के क्षेत्र में आकाशीय पिंडों की स्थिति और गति का वैज्ञानिक अध्ययन शामिल है. ये आकाशीय पिंड प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ब्रह्मांड की सभी सजीव और निर्जीव वस्तुओं को प्रभावित करते हैं.
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