दो ग्रहों की संबद्धता – संयुक्त कारक गुणों का विशेष प्रभाव

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जन्म कुंडली - दो ग्रहों की संबद्धता

जब दो ग्रहों की संबद्धता होती है, तो उनके कारक गुण परिवर्तित हो जाते हैं। ये परिवर्तित गुण जातक के जीवन में विशेष प्रभाव डालते हैं।

संबद्ध ग्रहदो ग्रहों की संबद्धताविशेष कारक प्रभाव
सूर्य और चंद्रमाव्यक्ति सम्मानित एवं भव्य मन का होता है अथवा उसकी मां सम्मानित या भव्य स्तर (dignified) की होती है। इसका कारण स्पष्ट है क्योंकि सूर्य प्रतिष्ठा एवं सम्मान तथा चंद्रमा मां या मन का कारक होता है। 2). सूर्य अग्नि का भी प्रतिनिधित्व करता है, अतः यह संबद्धता व्यक्ति के मन को तुरंत गुस्से वाला भी बनाएगी। ऐसा गुस्सा प्रचंड हो सकता है। 3). चूंकि चंद्रमा निवास को और सूर्य भव्य उपस्थिति को दर्शाता है, अतः यह संबद्धता व्यक्ति के भव्य निवास को कारित कर सकती है। 4). सूर्य पिता का और चंद्रमा भावुकता का कारक होता है, अतः व्यक्ति का पिता भावुक प्रकृति का हो सकता है। 5). यह संयोजन मंदिर एवं देवी का भी प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि सूर्य मंदिर का और चंद्रमा देवी का कारक होता है। ऐसा व्यक्ति कभी-कभी अपने घर में मंदिर बनवाता है। 6). ऐसे व्यक्ति में प्रबल इच्छा शक्ति होगी।  
सूर्य और मंगल1). यह संबद्धता व्यक्ति के छोटे भाई-बहनों को सम्माननीय व प्रतिष्ठित बनाती है या उन्हें किसी अधिकार के एक स्तर तक ले जाती है क्योंकि मंगल छोटे भाई-बहनों का प्रतिनिधित्व करता है। 2). व्यक्ति को स्वयं चोट लगने की संभावना हो सकती है क्योंकि मंगल चोट का और सूर्य मानवीय शरीर का कारक है। 3). व्यक्ति की आंख, हृदय एवं पेट में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की संभावना भी हो सकती है। 4). व्यक्ति शासकीय संपत्ति के संबंध में भी कुछ कर सकता है। 5). व्यक्ति की अपने पिता के साथ असहमति हो सकती है। 6). व्यक्ति अपने पिता के कार्य में बल भी प्रदान कर सकता है। 7). व्यक्ति पूजा के स्थान के स्वामित्व के संबंध में कोई कार्य कर सकता है या उससे संबंधित मुकदमें में शामिल हो सकता है क्योंकि मंगल मुकदमे का भी कारक है। 8). व्यक्ति राजवध भी कारित कर सकता है क्योंकि सूर्य राजा का और मंगल वध का कारक है।
सूर्य और बुध1). व्यक्ति प्रभावी रूप से बात करेगा और उसका लेखन प्रसिद्ध होगा और वह पढ़ाई में बहुत अच्छा होगा क्योंकि बुध लेखन, वाणी, पढ़ाई व अध्ययन का कारक है और सूर्य प्रसिद्धि का कारक है। 2). ऐसा व्यक्ति शासन एवं प्रशासन में अच्छा लेखन कर सकता है और बोल भी सकता है। 3). ऐसे व्यक्ति के मामा उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं। 4). ऐसे व्यक्ति में संगणन करने की अच्छी योग्यता हो सकती है। 5). ऐसा व्यक्ति अपने व्यापार के माध्यम से समाज में एक विशिष्ट स्थान बना सकता है। 6). व्यक्ति शासन के साथ व्यापार कर सकता है या विद्युत सामग्री का व्यवसाय कर सकता है।
सूर्य और गुरू1). यह बहुत अच्छा संयोग माना जाता है। 2). व्यक्ति को पुत्रियों से अधिक पुत्र हो सकते हैं। 3). व्यक्ति के पिता का कुछ प्रभाव व्यक्ति के बच्चों पर हो सकता है। 4). यह व्यक्ति को धन के संबंध में प्रसिद्ध बनाता है। 5). व्यक्ति अपने जीवन में उच्च स्तर प्राप्त कर सकता है। 6). व्यक्ति की शारीरिक संरचना भारी हो सकती है और वह बड़ी हड्डी वाला हो सकता है क्योंकि सूर्य शरीर एवं हड्डी तथा गुरू बड़ी संरचना का कारक होता है। 7). ऐसे व्यक्ति की तोंद भी निकल सकती है क्योंकि सूर्य पेट का और गुरू विस्तार का कारक होता है। 8). व्यक्ति अग्नि या विद्युत से प्राप्ति कर सकता है क्योंकि सूर्य अग्नि या विद्युत का तथा गुरू प्राप्ति का कारक होता है। 9). व्यक्ति का पिता धनी होता है या वह पिता के माध्यम से प्राप्ति करता है। 10). ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध स्क़ॉलर हो सकता है क्योंकि गुरू बौद्धिकता का कारक होता है। 11). वह उच्च स्तर का प्रबंधक हो सकता है। 12). वह ज्ञान योगी या ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो बौद्धिकता के माध्यम से दिव्य शक्ति की ओर पहुंचने का प्रयास करता है। 13). वह प्रबंधन व वित्त का अच्छा जानकार हो सकता है। 14). वह शासन के वित्त विभाग में भी कार्य कर सकता है।
सूर्य और शुक्रयह संयोजन व्यक्ति को प्रभावशाली वाहन देता है। 2). ऐसा व्यक्ति विद्युत या अग्नि से चलने वाले वाहन के संबंध में कुछ कार्य कर सकता है। 3). ऐसा व्यक्ति उच्च स्तर के व्यक्ति के साथ रोमांटिक संबंध स्थापित कर सकता है और यहां तक कि विवाह भी हो सकता है। 4). व्यक्ति ललित कला में उत्कृष्ट हो सकता है। 5). यह संयोजन महिला की कुंडली में होने पर उसे अधिक अधिकार प्राप्त हो सकते हैं।
सूर्य और शनि1). सरकारी नौकरी या कार्य कर सकता है। 2). ऐसा व्यक्ति अपने पेशे में उच्च स्तर तक पहुंच सकता है। 3). उच्च स्तर पर पदस्थ कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्ति के लिए कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। 4). ऐसे व्यक्ति को आंख, हृदय व पेट की बीमारी हो सकती है। 5). ऐसे संयोग में बहुत कम पाया जाने वाला कैंसर, रेटिनोब्लास्टोमा भी देखा गया है। इस बीमारी में कैंसर आंख के रेटिना से आरंभ हो कर पूरे शरीर में फैलता है। 6). ऐसे व्यक्ति का पिता कठिन जीवन जी सकता है और उसका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। 7). ऐसा व्यक्ति अपने पिता के सहयोग से या अपने पिता का ही पेशा अपना सकता है। 8). ऐसे व्यक्ति का पिता सेवा में हो सकता है। 9). ऐसे व्यक्ति के पिता की मृत्यु उसके जीवनकाल में ही हो सकती है। 10). ऐसे व्यक्ति द्वारा पूजा-स्थल का निर्माण कराने से उसके जीवन में अंतहीन कठिनाइयां आ सकती हैं।
सूर्य और राहू1). शासन द्वारा व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने की ओर इंगित करता है क्योंकि राहू प्रतिबंध का कारक है। 2). ऐसा व्यक्ति शासन द्वारा कारावास के अंदर रखा जा सकता है। 3). ऐसे व्यक्ति का विदेशी शासन के साथ संबंध हो सकते हैं और विदेश में प्रसिद्धि अर्जित कर सकता है क्योंकि राहू विदेश का और सूर्य प्रसिद्धि का कारक है। 4). ऐसा व्यक्ति अपने पद और अधिकार का प्रयोग करते हुए दोषी कार्य भी कर सकता है। 5). ऐसा व्यक्ति शासन व अपने उच्चाधिकारी को धोखा दे सकता है क्योंकि राहू कपट व धोखे का भी कारक है।    
सूर्य और केतु1). यह संयोजन व्यक्ति के पिता को आध्यात्मिक बनाता है। 2). ऐसा व्यक्ति आत्मा, काला जादू या तांत्रिक क्रियाओं के कारण शारीरिक कष्ट उठा सकता है। 3). ऐसा व्यक्ति आध्यात्मिक क्रियाओं, काला जादू, तंत्र या आत्माओं के वशीकरण के क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है। 4). ऐसा व्यक्ति मंत्र का प्रसिद्ध जानकार हो सकता है।
चंद्रमा और मंगल1). यह संयोजन व्यक्ति को गर्म दिमाग, हठीला, आक्रामक व साहसी बनाने की ओर ले जाता है। 2). ऐसे व्यक्ति की मां छरहरी व ऊर्जावान होती है। 3). ऐसे व्यक्ति की आंख, छाती या फेफड़े में चोट लग सकती है या उनकी सर्जरी हो सकती है। 4). ऐसे व्यक्ति का घर भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। 5). ऐसा संयोग किसी महिला की पत्रिका में होने पर उसके वक्ष या प्रजनन अंगों की सर्जरी हो सकती है। 6). ऐसा व्यक्ति अपने छोटे भाई-बहनों के साथ सम्मिलित हो सकता है। 7). ऐसे व्यक्ति के साथ जल संबंधी दुर्घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। 8). उसकी मां भी चोटों के प्रति प्रवृत्त रहती हैं। 9). ऐसे व्यक्ति की मां गर्म दिमाग की भी हो सकती है।  
चंद्रमा और बुध – दो ग्रहों का संबद्धता1). वह बौद्धिकता की ओर झुकाव रखता है। उसका मन हमेशा अध्ययन एवं दिलचस्प लेखन की तलाश में रहता है। 2). उसकी वाणी सुखद एवं अविवादित रहती है। 3). ऐसे व्यक्ति का मामा मिलनसार होगा। 4). ऐसा व्यक्ति द्रव्य का व्यापार कर सकता है। 5). ऐसा व्यक्ति अपने मामा से अधिक निकट होगा। 6). वह एक से अधिक रुचियों को एक ही समय में कर सकता है। 7). ऐसा व्यक्ति परिवर्तन एवं यात्रा पसंद कर सकता है। 8). उसकी सौतेली मां हो सकती है।    
चंद्रमा एवं गुरू1). यह संबद्धता व्यक्ति को विद्वान तथा प्रबंधन, वित्त एवं धर्म में रुचि लेने वाला बनाती है। 2). किसी महिला की कुंडली में ऐसा संयोग होने पर उसे आवक्षी (busty) बनाती है। 3). व्यक्ति को कोई बुजुर्ग महिला धनार्जन करने में सहायता करती है। 4). ऐसे व्यक्ति की पुत्रियां अधिक होती हैं। 5). उसकी मां शारीरिक रूप से भारी बनावट की होती हैं। 6). ऐसा व्यक्ति द्रव्य के माध्यम से प्राप्ति करता है। 7). वह जल संसाधन प्रबंधन एवं उसके संग्रहण का विशेष जानकार होता है। 8). ऐसा व्यक्ति विशाल घर में निवास करता है।
चंद्रमा एवं शुक्र1). यह संबद्धता व्यक्ति को अच्छे सौंदर्यपरक ज्ञान की ओर ले जाती है। 2). वह रोमांटिक प्रकृति का होता है और महिलाओं की संगति का उपभोग करने की ओर प्रवृत्त रहता है। 3). वह आमोद-प्रमोद प्रेमी होगा। 4). वह अच्छा दिखने वाला तथा विपरीत लिंग के लिए आकर्षक होगा। 5). वह अच्छे वैवाहिक संबंधों का भागीदार नहीं हो सकता है। 6). ऐसा व्यक्ति जलीय यानों के संबंध में कार्य कर सकता है। 7). उसकी मां सुंदर होगी। 8). वह एक अच्छा कलाकार होगा और अपने भावों को अच्छे से प्रदर्शित कर सकेगा।
चंद्रमा और शनि1). इस संबद्धता से व्यक्ति की गंभीर स्थिति बनती है और लेकिन उसमें हीन भावना आ सकती है। 2). वह उच्च स्तरीय व्यक्तियों के साथ संबंध बनाने में कठिनाई महसूस करेगा। 3). वह अनुशासित व्यक्ति होगा लेकिन वह उदासीन भी हो सकता है। 4). वह कृषि एवं इतिहास में रुचि लेगा। 5). वह अपने पेशे को गंभीरता से लेगा। 6). वह प्रत्येक मामले में पूर्ण विस्तार के साथ जाने की ओर प्रवृत्त रहेगा और छोटे रास्ते से काम करने को पसंद नहीं करेगा। 7). यह हो सकता है कि वह देखने में अच्छा न हो। 8). यह संयोग व्यक्ति को मानसिक असंतुलन की ओर प्रवृत्त करता है। 9). उसकी मां का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। 10). उसका घर सादा और विलासिता रहित होगा। 11). ऐसे व्यक्ति के मां की मृत्यु उसके जीवनकाल में ही होगी।
चंद्रमा और राहू1). यह संबद्धता व्यक्ति को लंबी जल यात्रा की ओर ले जाती है। 2). ऐसे व्यक्ति को डूबने का भय रहता है और यहां तक कि वह हाहड्रोफोबिया से ग्रस्त होता है। 3). ऐसा व्यक्ति विदेशी मामलों में अधिक रुचि दिखाता है। 4). उसका मन सांसारिक अरुचिकर एवं अस्वास्थ्यकर मामलों में रहता है। 5). उसके मन में अज्ञात डर एवं फोबिया रहता है। 6). ऐसा व्यक्ति धोखेबाज एवं अविश्वसनीय व्यक्ति के रूप में बदलता है। 7). वह नए लोगों के साथ मिलना पसंद नहीं करता है। 8). वह अंतर्मुखी होगा और केवल अपनों का ही साथ रखना पसंद करेगा।  
चंद्रमा और केतुऐसा व्यक्ति गुप्त, अज्ञात प्रक्रिया, आध्यात्मिक मामले एवं दिव्य शक्ति से प्रेम में रुचि रखता है तथा निर्वाण की याचना करता है।
मंगल और बुध1). इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योग्यता का निर्माण करती है। 2). यह संयोग व्यक्ति में कठोर वाणी या ऐसी वाणी जिससे तनाव व मनमुटाव हो, भी कारित करता है। 3). ऐसा व्यक्ति मशीन का व्यापार कर सकता है। 4). यह संयोग छोटे भाई-बहनों की संख्या में वृद्धि की ओर प्रवृत्त करता है। 5). ऐसे व्यक्ति के छोटे भाई, बहनों की अपेक्षा अधिक होंगे। 6). यह संयोग व्यक्ति के मामा को चोट कारित करता है। 7). ऐसे व्यक्ति का अपने मामा के साथ विवाद हो सकता है। 8). व्यक्ति की अधिक अचल संपत्ति हो सकती है। 9). यह व्यक्ति के प्रिंटिंग या पैस संबंधी कार्य की ओर कुछ झुकाव रखने को भी दर्शाता है।
मंगल और गुरू – दो ग्रहों की संबद्धता1). यह संबद्धता गुरू को धन व प्राप्ति कारित करने के लिए क्रियाशील कर बल प्रदान करती है। 2). यह संयोग बहनों की अपेक्षा बड़े भाइयों की संख्या में वृद्धि करता है। 3). यद्यपि गुरू द्वारा व्यक्ति के शरीर में बढ़ाई गई चर्बी को मंगल कम करता है, तथापि व्यक्ति भारी, मांसल व हट्टा-कट्टा हो सकता है। 4). बड़े भाई-बहनों या किसी स्कॉलर से आय व धन का विवाद हो सकता है। 5). यह संयोग मुकदमे में सफलता के लिए अच्छा माना गया है। 6). यह बड़े भाई-बहनों में चोट व सर्जरी कारित कर सकता है। 7). यह संयोग महिलाओं की पत्रिकाओं में पति के लिए अच्छा नहीं होता है क्योंकि उन्हें चोट लग सकती है या उनकी सर्जरी हो सकती है। 8). यदि यह संयोग महिला की पत्रिका में हो, तो वह वैवाहिक सौहार्दता के लिए अच्छा नहीं होता। 9). व्यक्ति बड़ी संपत्ति अर्जित करने की ओर प्रवृत्त रहता है। 10). यह संयोग मानसिक सौम्यता का अभाव होने के कारण धार्मिक विकास के लिए अच्छा नहीं होता।
मंगल और शुक्र1). यह सेक्स की इच्छा बढ़ाने का चर्चित संयोग है क्योंकि यह काम वासना को बल प्रदान करता है। 2). ऐसा व्यक्ति असभ्य व अशिष्ट सेक्स पसंद करता है। 3). उसके छोटे भाई-बहन सामान्यतः अच्छे दिखने वाले और ललित कला में प्रतिभावान होते हैं। 4). यह संयोग आटोमोबाइल इंजीनियरिंग, स्थापत्य (आर्किटेक्चर) एवं आंतरिक सज्जा को दर्शाता है। 5). व्यक्ति को गले या गर्दन में चोट आ सकती है। 6). यह संयोग आत्मीय रोमांटिक संबंध का वाहक नहीं है। 7). पुरुष की पत्रिका में यह संयोग वैवाहिक कलह या अनबन होने, पत्नी को चोट लगने तथा अचल संपत्ति में पत्नी की मानसिक व्यस्तता को दर्शाता है। 8). कुछ प्रकरणों में यह संयोग पत्नी को पीटने एवं उसकी हत्या तक कर देने की स्थिति को दर्शाता है। 9). व्यक्ति के रोमांस की परिणति साथी की हत्या करने या उसे गंभीर चोट पहुंचाने में हो सकती है। 10). यह संयोग छोटी बहनों की प्राप्ति की ओर झुकाव रखता है। 11). ऐसा व्यक्ति सुरुचिपूर्ण संपत्ति प्राप्त कर सकता है।
मंगल और शनि1). यह एक कठिन संयोग है क्योंकि व्यक्ति को उसकी सेवा के दौरान चोट लग सकती है या उसके कार्य-स्थल पर विवाद हो सकता है या उसे कष्ट मिल सकता है। 2). उसके छोटे भाई-बहन असामान्य स्वास्थ्य के होते हैं और उनका मन निरंतर कष्टयुक्त व तनावयुक्त हो सकता है। 3). व्यक्ति अचल संपत्ति के कारण मुकदमे का सामना करता है और ऐसी संपत्ति निरंतर कष्ट व भय का कारण होती है। 4). व्यक्ति संपत्ति व छोटे भाई-बहनों की हानि उठाता है। 5). छोटे भाई-बहनों के साथ उसके संबंध बिगड़ते हैं और वे उसके लिए अपमान, दुख, कष्ट एवं हानि का कारण बनते हैं और इसलिए, उनसे पृथक्करण हमेशा बेहतर होता है। 6). एक या अधिक छोटे भाई-बहन की मृत्यु, व्यक्ति के जीवनकाल में हो जाती है। 7). व्यक्ति मुकदमे में विजय बड़ी मुश्किल से प्राप्त करता है। 8). इस संयोग में सामान्यतः मांसल अपक्षय व रक्त के असंतुलन की बीमारी होती है। 9). इस संयोग में व्यक्ति का शरीर अच्छा या मांसल नहीं होता है। 10). शनि नौकरों व निम्नस्तरीय समाज का प्रतिनिधित्व करता है, अतः इन व्यक्तियों से उसे कष्ट प्राप्त होगा। 11). व्यक्ति को बुजुर्गों से भी कष्ट मिलता है।
मंगल और राहू1). यह संयोग विवाद, विदेश में कष्ट व कैद की ओर इंगित करता है और यदि ऐसा न हो, तो वह व्यक्ति चोटग्रस्त होकर अस्पताल में भर्ती हो सकता है। 2). यह संयोग विदेश में संपत्ति अर्जन या सौदे को बढ़ावा देता है। 3). अनजान व्यक्ति से धोखे, कपट व बेईमानीयुक्त सौदे के कारण विवाद कारित होता है और यह स्थिति कभी-कभी रक्तपात व जघन्य अपराध की ओर ले जाती है। 4). यह संयोग, माफिया, डॉन और अंडरवर्ल्ड अपराधी बनाता है। 5). व्यक्ति के छोटे भाई-बहन विदेश से संव्यवहार करते हैं या विदेश चले जाते हैं।
मंगल और केतु1). यह संयोग छोटे भाई-बहनों को आध्यात्मिक बनाता है और आध्यात्मिक गतिविधियों से विवाद उत्पन्न होने की संभावना भी रहती है। 2). धार्मिक संपत्ति के संबंध में मुकदमे इस संयोग में सामान्य बात है।
बुध और गुरू1). यह संयोग व्यक्ति को व्यवसाय प्रबंधक बनाता है। 2). यह संयोग व्यक्ति द्वारा विद्वतापूर्ण संधियां लिखने धार्मिक विषयों पर प्रवचन देने का दृढ़सूचक है। 3). व्यक्ति लेखन, प्रकाशन या वक्तव्यों से धन अर्जित करता है। 4). वह वाणिज्य में अच्छा हो सकता है। 5). उसके संभवतः जुड़वां बच्चे हो सकते हैं। 6). महिला की पत्रिका में यह संयोग एक से अधिक विवाह का संकेत दे सकता है। 7). यह व्यक्ति के मामा को भारी शरीर का बनाता है। 8). यह संयोग बड़े भाई-बहनों की संख्या में वृद्धि करता है।
बुध और शुक्र1). पुरुषों में पत्नी की संख्या में वृद्धि करता है। 2). यह संगीत, चित्रकला एवं नृत्य में अच्छी योग्यता देता है। 3). व्यक्ति बहुत अच्छा एवं सुखद वार्तालाप करता है। 4). यह संयोग व्यक्ति की काम इच्छा पर विपरीत प्रभाव डालता है क्योंकि बुध को नपुंसक ग्रह माना गया है और यह सेक्स क्रिया को नष्ट कर शक्ति को कम करता है। 5). ऐसे व्यक्ति के पास बहुत से वाहन हो सकते हैं।
बुध और शनि1). यह संयोग व्यक्ति को अल्प भाषी बनाता है। 2). ऐसा व्यक्ति वाणिज्य में अच्छा नहीं हो सकता। 3). वह बोलने में किफायती और पढ़ाई में मेहनती विद्यार्थी हो सकता है। 4). ऐसा व्यक्ति अपनी शिक्षा के दौरान बाधाओं का सामना करता है और उसमें अवरोध भी उत्पन्न हो सकता है। 5). वह एक से अधिक पेशा अपनाने में लगा रहता है। 6). वह अपने मामा से अधिक निकट नहीं होता। 7). उसकी भुजाएं पतली हो सकती हैं। 8). उसके मामा और मामी उस व्यक्ति के जीवनकाल में ही मृत्यु प्राप्त कर सकते हैं। 9). ऐसा व्यक्ति वाणी दोष से ग्रसित हो सकता है।
बुध और राहू1). यह एक खराब संयोग है क्योंकि वह व्यक्ति को झूठा बनाता है जो अन्य लोगों के साथ लेखन या वचन से कपट कारित करता है। 2). यह व्यक्ति विदेश में पढ़ाई कर सकता है अथवा विदेश में या विदेशियों के सहयोग से लेखन कार्य अथवा शिक्षक का कार्य कर सकता है। 3). वह गंदी व अश्लील भाषा का प्रयोग कर सकता है और आपत्तिजनक साहित्य के लेखन में भी कार्य कर सकता है।
बुध और केतुयह संयोग गुप्त विषयों और आध्यात्म पर वक्ता या आध्यात्मिक साहित्य का लेखक बनाता है।
गुरू और शुक्र – दो ग्रहों की संबद्धता1). यह संबद्धता व्यक्ति को विलासिता का जीवन देती है। 2). पुरुष की जन्म कुंडली में यह संयोग पत्नी को अधिक वजन की ओर प्रवृत्त करता है जबकि महिला की कुंडली में यह संयोग पति के खूबसूरत होने की ओर संकेत करता है। 3). किसी भी पत्रिका में यह संयोग होने पर व्यक्ति के बच्चे खूबसूरत होते हैं। 4). व्यक्ति का धार्मिक जीवन अल्पविकसित रहता है क्योंकि वह जीवन की अच्छी चीजों के प्रति आसक्त भी होता है। 5). व्यक्ति का सेक्स जीवन स्वीकृत मानदंडों एवं शिष्टता के अंदर रहता है। 6). ऐसा व्यक्ति बड़े वाहन अर्जित कर सकता है। 7). पुरुष व्यक्ति का वैवाहिक जीवन संतुलित व सुखी रहता है जबकि महिला का जीवन सेक्स व रोमांस के पीछे घूमने में निकलता है। 8). यह संयोग पुत्रों की अपेक्षा पुत्रियों की अधिक संख्या होने का सूचक है।   
गुरू और शनि1). यह संबद्धता बच्चों की संख्या को सीमित करती है और महिला को उसके पति से अलग करती है। 2). यह संयोग महिला और उसके पति के बीच उम्र के काफी बड़े अंतर को बताता है। 3). महिला की पत्रिका में यह संयोग होने पर महिला का पति उससे पूर्व मृत्यु प्राप्त करता है। 4). ऐसे व्यक्ति की आय व धन सीमित हो सकते हैं। 5). व्यक्ति वित्तीय रुकावट या नाकामयाबी का सामना कर सकता है। 6). व्यक्ति उदासीन या निष्क्रिय होकर अनुशासित धार्मिक जीवन अपना सकता है। 7). यह संयोग व्यक्ति को उसके बच्चों से अलग कर सकता है अथवा यह भी हो सकता है कि उसके जीवनकाल में बच्चों में से कोई एक मृत्यु प्राप्त करे। 8). यह हो सकता है कि उसके बड़े भाई-बहन न हों, यदि बड़े भाई-बहन होते हैं, तो उनमें से कुछ, व्यक्ति के जीवनकाल में मृत्यु प्राप्त कर सकते हैं। 9). व्यक्ति का पेशा उन्नति प्राप्त कर सकता है।
गुरू और राहू1). गुरू की राहू से संबद्धता जाना माना गुरू चांडाल योग बनाता है। 2). इस योग का केवल एक अच्छा परिणाम यह है कि यह विदेश से या विदेशी पक्ष के माध्यम से प्राप्ति की मजबूत संभावना दर्शाता है। 3). इस संयोग के कारण महिला अपने समाज के बाहर विवाह कर सकती है जबकि व्यक्ति किसी अपरिचित को गोद लेने का निर्णय ले सकता है। 4). व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। 5). व्यक्ति के बड़े भाई-बहन या उसके बच्चे उसे धन के मामले में जेल तग ले जा सकते हैं। 6). उसे अपने बड़े भाई-बहन से सतर्क रहना होगा क्योंकि वे उसे गुमराह करने से नहीं हिचकेंगे या उसके साथ कपट कर सकते हैं।
गुरू और केतुयह संयोग धार्मिक व आध्यात्मिक जीवन के लिए श्रेष्ठ है और इसका प्रभाव बच्चों के जीवन पर भी पड़ सकता है।
शुक्र और शनि1). यह संबद्धता सेक्स क्रिया में कमी करती है। 2). यह संयोग व्यक्ति को समान सेक्स की ओर प्रवृत्त करता है। 3). रोमांस लंबी अवधि का नहीं होता और पुरुष अपने वैवाहिक जीवन में असफल रहते हैं। 4). वाहन हानि व कष्ट का कारण बनते हैं। 5). व्यक्ति ऐसा पेशा अपना सकता है जिसमें अच्छा सौंदर्य संवेदन उसे अच्छी जगह ले जा सकता है। 6). यह संयोग पत्रिका में होने पर पुरुष अपने जीवनकाल में अपनी पत्नी को खो सकता है और पुरुष अपने से बड़ी उम्र की महिला से विवाह कर सकता है।
शुक्र और राहू1). यह संयोग खराब है क्योंकि यह निश्चित रूप से व्यक्ति के सेक्स जीवन को सामान्य प्रक्रिया से विचलित करता है। 2). यह पुरुष पत्रिका में वैवाहिक जीवन को बिगाड़ता है और ऐसे व्यक्तियों के साथ रोमांस में शामिल कराता है जो विकृत, दूषित या ऐय्याश होते हैं। 3). यह संयोग पुरुष व्यक्ति को विदेशी से या अपने समाज से अलग व्यक्ति से विवाह करने की ओर प्रवृत्त करता है। 4). इस संयोग द्वारा आयातित वाहनों की ओर भी संकेत मिलता है।
शुक्र और केतु1). शुक्र की केतु से संबंद्धता व्यक्ति को विपरीत दिशाओं में खीचती है। 2). केतु की आध्यात्मिकता शुक्र के भौतिकवाद से बदल जाती है। 3). यह संबद्धता अच्छे स्थान पर स्थित केतु को भी निर्वाण की ओर ले जाने में बाधा उत्पन्न करती है।
शनि और राहू1). शनि की राहू से संबद्धता एक खराब संयोग है क्योंकि यह व्यक्ति को कभी भी ऋण या दिवालियापन के कारण कारावास की ओर ले जा सकता है। 2). व्यक्ति गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हो सकता है। 3). यह कैंसर रोग का भी संयोग है। 4). ऐसे संयोग वाले व्यक्ति को विदेश में बहुत सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि वह वहां पर नुकसान उठा सकता है। 5). इस संयोग का एक अच्छा पक्ष यह भी है कि उसमें यह योग्यता है कि वह व्यक्ति को विदेश में नौकरी दे सकता है। 6). व्यक्ति राजनयिक बन सकता है। 7). इस संयोग वाले व्यक्ति को अपने नौकरों से सतर्क रहना होगा क्योंकि वे उसे प्रवंचित कर दुख पहुंचा सकते हैं।
शनि और केतु1). यह संयोग तपस्या और कठोर आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से आध्यात्मिक शक्ति में लाभ पहुंचाने की ओर संकेत करता है। 2). इस संयोग का व्यक्ति किसी आध्यात्मिक क्षेत्र संबंधी संगठन में काम कर सकता है।
दो ग्रहों की संबद्धता: संयुक्त गुणों में परिवर्तन या आशोधन

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विशेष नोट – इस “दो ग्रहों की संबद्धता” नामक इस आलेख की विषय-वस्तु के संबंध में यदि आपका कोई प्रश्न हो, तो आप निम्नलिखित ईमेल लिंक के जरिए संपर्क कर सकते हैं.


Comments

4 responses to “दो ग्रहों की संबद्धता – संयुक्त कारक गुणों का विशेष प्रभाव”

  1. Dr. Anil Kumar Nigam Avatar
    Dr. Anil Kumar Nigam

    दो ग्रहों की बीच संबद्धता और उसके प्रभाव को आपने अत्‍यंत सरलता और सहजता के साथ बताया है। निस्‍संदेह, इससे पाठकों को स्‍पष्‍ट जानकारी मिल सकेगी।

    1. प्रिय अनिल, आपकी इन टिप्पणियों से इस वेबसाइट को समुचित दिशा प्रदान करने में निश्चिततौर पर मदद मिलेगी।

  2. डॉ. गणेश श्रीवास्तव Avatar
    डॉ. गणेश श्रीवास्तव

    संयुक्त ग्रहों के स्वभाव और प्रभाव की आधारभूत जानकारी देकर आपने हमें उपकृत किया है। इस आधारभूत जानकरी की उपयोगिता जातक के जन्म से और नामकरण की प्रक्रिया से ही अपनी उपयोगिता सिद्ध करती है। जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण निर्णय करते समय भी ग्रहों की युति विशेष रूप से विचारनी चाहिए। इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपको विनयावनत कोटिश: बधाई और साधुवाद सर।

    1. प्रिय डॉ. गणेश, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी यह प्रेरणादायक टिप्पणी सर्वसमाज के बीच ज्योतिष विज्ञान के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और ज्योतिष विद्या का सरलतम रूप में प्रसार करने के चिर वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु मेरे निरंतर कार्य करते रहने की दिशा में उत्प्रेरक का कार्य करेगी।

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